लेखनी प्रतियोगिता -18-Nov-2022
आ लौट आ दिल की ख्वाहिश समझ
कुछ पल रूक थाम लूं मैं अपनी रूह को
तेरे इंतज़ार में तेरी रोशनी को अपना मान
कुछ पल सही पराए आंसू में अपना रंग
सज़ा कुछ यादों को अपना बना लूं।
आ लौट आ दिल की ख्वाहिश समझ
मेरे अक्स को मत मिटा, मोती का भी
एक वजूद उसके एहसासों को बस माला के
एक कच्चे धागे में मत बांध, आज ढहर कर
मेरी गहराइयों में उतर जा।
Gunjan Kamal
24-Nov-2022 06:11 PM
शानदार प्रस्तुति 👌
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अदिति झा
20-Nov-2022 09:23 PM
शानदार
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RAKHI Saroj
22-Nov-2022 12:31 AM
धन्यवाद आपका
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Abhinav ji
19-Nov-2022 09:14 AM
Nice
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RAKHI Saroj
20-Nov-2022 12:39 AM
Thank you
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